हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इसके साथ ही पांच दिवसीय दिवाली का पर्व आरंभ हो जाता है। इस दौरान भगवान धन्वंतरि, कुबेर जी के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। इसके साथ ही इस दिन सोना-चांदी के साथ कुछ अन्य चीजों की खरीदारी करने से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती है। धनतेरस के दिन विधिवत पूजा करने के साथ कथा पढ़ना या फिर सुनना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं में धनतेरस को लेकर कई कथाएं प्रचलित है। यहां पर मां लक्ष्मी और भगवान धन्वतंरि से संबंधित कथाएं बता रहे हैं। आइए जानते हैं धनतेरस की कथा…
विष्णु पुराण और भागवत पुराण के अनुसार, एक बार देवताओं और असुरों के बीच अमृत प्राप्ति की होड़ मची। अमृत पाने के लिए भगवान विष्णु के सुझाव पर देवता और असुर मिलकर समुद्र मंथन करने का निर्णय लिया। इस मंथन में मंदराचल पर्वत को मथानी और वासुकि नाग को रस्सी के रूप में उपयोग किया गया। भगवान विष्णु ने कच्छप का अवतार लेकर मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर स्थिर रखा, जिससे मंथन की प्रक्रिया बिना किसी बाधा के चल सके।