did not shake hands even after victory

सूर्यकुमार यादव की टीम ने पाकिस्तान पर नहीं दिया ध्यान, जीत के बाद भी हाथ नहीं मिलाया

Sports Breaking News

did not shake hands even after victory : भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मुकाबला हमेशा से ही रोमांच, जोश और भावनाओं से भरा होता है। एशिया कप में हुए हालिया मैच ने भी यही साबित किया। हालांकि इस बार मैच के नतीजे से ज़्यादा चर्चा उस घटना की हुई, जब सूर्यकुमार यादव की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने जीत दर्ज करने के बाद भी पाकिस्तान के खिलाड़ियों से हाथ मिलाने से परहेज़ किया। यह घटना सोशल मीडिया और खेल जगत में विवाद का विषय बन गई और खेल भावना बनाम तीखी प्रतिद्वंद्विता की बहस को फिर से हवा मिल गई।

Image

मुकाबले का हाल

भारत ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए एक सम्मानजनक स्कोर खड़ा किया। भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने धैर्यपूर्ण पारी खेली और मिडिल ऑर्डर ने भी अहम योगदान दिया। इसके बाद गेंदबाज़ों, विशेषकर स्पिनरों ने शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने पाकिस्तानी बल्लेबाज़ों को जाल में फंसाकर 185 रनों पर समेट दिया और भारत ने मुकाबला आराम से जीत लिया।

मैच का नतीजा साफ था—भारत ने पाकिस्तान पर शानदार जीत दर्ज की। लेकिन इसके बाद मैदान पर जो दृश्य देखने को मिला, उसने सबका ध्यान खींच लिया।

हाथ न मिलाने की घटना

सामान्यतः किसी भी अंतरराष्ट्रीय मैच के बाद दोनों टीमें एक-दूसरे से हाथ मिलाकर खेल भावना का परिचय देती हैं। यह एक परंपरा है जो बताती है कि खेल प्रतिस्पर्धा तक ही सीमित है। लेकिन इस बार भारतीय खिलाड़ी आपस में ही जश्न मनाते रहे और पाकिस्तान टीम से दूरी बनाए रखी।

टीवी प्रसारण और स्टेडियम में मौजूद दर्शकों ने देखा कि भारतीय खिलाड़ी सीधे पवेलियन की ओर बढ़ गए। पाकिस्तानी खिलाड़ी मैदान पर खड़े रहे लेकिन उन्हें भारतीय टीम की ओर से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं मिली। सूर्यकुमार यादव भी सीधे टीम हडल में शामिल हुए और बाद में खिलाड़ियों संग मैदान से बाहर चले गए।

फैंस की प्रतिक्रियाएँ

इस घटना पर फैंस की राय बंटी हुई दिखाई दी।

  • भारतीय प्रशंसक: कई भारतीय समर्थकों ने टीम का बचाव किया और कहा कि पाकिस्तान से हाथ न मिलाना एक सख्त संदेश था। कुछ ने इसे “प्रतिद्वंद्विता की सच्चाई” बताया और कहा कि खिलाड़ियों ने टीम की जीत को प्राथमिकता दी।

  • पाकिस्तानी प्रशंसक: पाकिस्तान के फैंस ने भारतीय टीम पर खेल भावना की अनदेखी का आरोप लगाया। उनके अनुसार यह अहंकार और असम्मान का प्रतीक था।

  • निष्पक्ष दर्शक: दुनियाभर के क्रिकेट प्रेमियों ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उनका मानना था कि प्रतिद्वंद्विता अपनी जगह है, लेकिन सम्मान और परंपराएँ भी उतनी ही ज़रूरी हैं।

पूर्व खिलाड़ियों की राय

पूर्व क्रिकेटरों ने भी इस विषय पर अपने विचार रखे।

  • भारतीय दिग्गज: कुछ पूर्व भारतीय खिलाड़ियों ने कहा कि भारत–पाकिस्तान मुकाबलों में भावनाएँ स्वाभाविक रूप से उफान पर होती हैं। उन्होंने तर्क दिया कि यह खिलाड़ियों का निजी फैसला था और इसमें कुछ गलत नहीं।

  • पाकिस्तानी दिग्गज: पाकिस्तान के पूर्व खिलाड़ी इस घटना से खासे नाराज़ दिखे। उन्होंने कहा कि हार-जीत खेल का हिस्सा है लेकिन खेल भावना बनाए रखना हर खिलाड़ी का कर्तव्य है।

  • अन्य देशों के विश्लेषक: न्यूट्रल एक्सपर्ट्स ने सलाह दी कि चाहे जितनी बड़ी प्रतिद्वंद्विता क्यों न हो, हाथ मिलाना एक परंपरा है जिसे निभाना चाहिए।

सूर्यकुमार यादव की भूमिका

टीम के कप्तान होने के नाते सूर्यकुमार यादव पर सबसे ज्यादा निगाहें टिकी रहीं। उनकी शांत और संतुलित छवि के बावजूद इस बार उनका व्यवहार सख्त दिखाई दिया। माना जा रहा है कि यह फैसला टीम मैनेजमेंट की रणनीति का हिस्सा था।

कुछ का मानना है कि सूर्यकुमार ने अपने खिलाड़ियों को यह संदेश दिया कि मैच जीतने के बाद टीम का ध्यान केवल जश्न और आत्मविश्वास पर होना चाहिए, न कि दिखावटी परंपराओं पर। वहीं आलोचकों का कहना है कि हाथ मिलाने से भारतीय जीत की महत्ता कम नहीं होती, बल्कि इससे टीम की परिपक्वता सामने आती।

खेल भावना बनाम प्रतिद्वंद्विता

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया—क्या खेल भावना और प्रतिद्वंद्विता साथ-साथ चल सकती हैं? क्रिकेट को “जेंटलमैन्स गेम” कहा जाता है और इसमें सम्मान और शिष्टाचार अहम माने जाते हैं। हाथ मिलाने जैसी छोटी-सी रस्म भी इसी भावना को दर्शाती है।

लेकिन भारत–पाकिस्तान मुकाबले साधारण नहीं होते। खिलाड़ियों पर दबाव और अपेक्षाएँ इतनी अधिक होती हैं कि हर छोटा कदम चर्चा का विषय बन जाता है। यही कारण है कि इस घटना को लेकर इतनी तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आईं।

मीडिया और सोशल मीडिया पर बहस

इस घटना ने मीडिया में सुर्खियाँ बटोरीं। अखबारों और टीवी चैनलों ने हेडलाइन बनाई—

  • “भारत ने पाकिस्तान को नज़रअंदाज़ किया”

  • “जीत के बाद भी हाथ नहीं मिलाया”

  • “खेल भावना पर उठे सवाल”

सोशल मीडिया पर #NoHandshake और #RespectTheGame जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। मीम्स, वीडियो क्लिप और तीखे कमेंट्स ने माहौल और गरमा दिया।

संभावित परिणाम

हालाँकि क्रिकेट बोर्ड्स की ओर से किसी आधिकारिक कार्रवाई की संभावना कम है, लेकिन इसके कुछ प्रभाव ज़रूर हो सकते हैं:

  • भारत–पाकिस्तान क्रिकेट रिश्ते और तनावपूर्ण हो सकते हैं।

  • आईसीसी इस पर ध्यान दे सकती है क्योंकि वह खेल भावना पर ज़ोर देती है।

  • खिलाड़ियों से लगातार मीडिया और जनता सवाल पूछ सकती है।

आगे का रास्ता

इस घटना से दोनों टीमों और खासकर नई पीढ़ी के खिलाड़ियों को सीख लेनी होगी। प्रतिद्वंद्विता की तीव्रता बनी रह सकती है, लेकिन सम्मान और परंपरा का पालन भी उतना ही आवश्यक है। छोटे-छोटे संकेत, जैसे हाथ मिलाना, न केवल खेल को बेहतर बनाते हैं बल्कि दुनियाभर में क्रिकेट की छवि भी मजबूत करते हैं।

निष्कर्ष

एशिया कप में भारत ने पाकिस्तान को हराकर शानदार जीत दर्ज की, लेकिन मैदान पर हुए बर्ताव ने इस जीत पर छाया डाल दी। सूर्यकुमार यादव की टीम ने पाकिस्तान के खिलाड़ियों से हाथ न मिलाकर एक सख्त संदेश दिया, जिसे कुछ ने आत्मसम्मान और दृढ़ता का प्रतीक माना, तो कुछ ने इसे खेल भावना की अनदेखी बताया।

यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि भारत–पाकिस्तान मुकाबले सिर्फ खेल नहीं, बल्कि भावनाओं और संदेशों का आदान-प्रदान भी होते हैं। पर खेल की असली खूबसूरती तभी बनी रहती है जब प्रतिस्पर्धा के साथ सम्मान भी बरकरार रहे।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *