घर के आसपास का कोई छोटा सा मार्केट हो या फिर किसी मॉल का फूड कोर्ट… यहां मोमोज बेचने वाले भैया की शॉप मिल ही जाती है. कई जगहों पर एक टेबल और स्टीमर के साथ भैया मोमोज बेचते नजर आते हैं तो कई जगह AC वाली दुकानों में भी मोमोज बिकते हुए दिखते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं आखिर मोमोज से कितनी कमाई होती है और जो भैया गली के नुक्कड़ पर मोमोज बेच रहे होते हैं, वो कितना कमाते हैं? तो आज जानते हैं मोमोज के बिजनेस के प्लान के बारे में…
कितनी होती है कमाई?
सबसे पहले आपको बता दें कि किसी भी मोमोज विक्रेता की कमाई को मापने का कोई सीधा फॉर्मूला नहीं है. उनकी कमाई कई चीजों पर निर्भर करती है, जिसमें दुकान कहां है, दुकान कैसी है, दुकान पर कितने ग्राहक आ रहे हैं, मोमोज के रेट कितने हैं? दरअसल, गली के बाहर दुकान वाले भैया से पूछा तो उन्होंने बताया कि मोमोज खरीदने के अलावा उनका खर्चा कमेटी, किराए में होता है. जैसे जिस किसी दुकान के बाहर अपनी टेबल लगाते हैं, वो भी हमसे किराया लेता है. जैसे बुध बाजार, सोम बाजार में जब लगाते हैं तो दुकानदार अलग से पैसे लेते हैं.
इसी तरह जिन्होंने अच्छी जगह स्टोर खोला है, उनका किराया उस हिसाब से लगता है. ये उस मॉल और लोकेशन के आधार पर तय होता है. इस वजह से वहां के रेट भी ज्यादा होते हैं. ऐसे में हम पर प्लेट के हिसाब से समझाने की कोशिश करते हैं कि उन्हें एक प्लेट बनाने में कितना खर्चा होता है, जिससे आप समझ जाएंगे कि आखिर एक प्लेट पर उन्हें कितना मुनाफा होता है?
क्या है कमाई का सिस्टम?
जब मोमोज की कमाई के बारे में दुकानदारों से बात की तो उन्होंने बताया कि कई लोग खुद घर पर मोमोज बनाते हैं, जबकि अधिकतर लोग बने बनाए मोमोज खरीदकर लाते हैं. बस रॉ मोमोज खरीदने के बाद उसे स्टीम करके सर्व करना होता है. इसके अलावा मोमोज बेचने में ज्यादा झंझट का काम नहीं हैं. इस खर्चे में दुकान का किराया, कमेटी का पैसा, गैस का खर्चा, प्लेट, पैकिंग पैकेट्स आदि का खर्चा जोड़कर सब अपने हिसाब से रेट तय करते हैं.
कितने रुपये के आते हैं कच्चे मोमोज?
कच्चे मोमोज का रेट पता करने के लिए जब मोमोज फैक्ट्री में बात की तो उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा सेल देसी मोमोज की होती है. इसके अलावा अब बाजार में कई तरह के मोमोज मिल रहे हैं, जिसमें पॉप मोमोज, सिगार रोल, वीट मोमो आदि शामिल हैं.
अगर देसी मोमोज की बात करें तो ये दो तरह के मिलते हैं, जिसमें एक वो होते हैं, जो मशीन से बनते हैं और एक हाथ से बनने वाले मोमोज होते हैं. हाथ से बनने वाले मोमोज के रेट ज्यादा हैं और मशीन वाले करीब 70 पैसा से 1 रुपये पर पीस कम रेट में मिलते हैं.
कच्चे मोमोज बेचने का काम करने वाले नितिन बताते हैं, मशीन से बनने वाले देसी मोमोज 3 रुपये पर पीस के हिसाब से शुरू होते हैं, जबकि हाथ वाले 4.5 रुपये के हिसाब से शुरू होते हैं. इसमें पनीर और चिकन के रेट 5.5 रुपये एक पीस का है.
ऐसे में अगर 5 मोमोज की प्लेट कोई दुकानदार बेचता है तो उन्हें करीब 23 रुपये के मोमोज में खर्च करने होते हैं. इसके अलावा गैस और प्लेट, चटनी के 3-4 रुपये खर्च हो जाते हैं. ये प्लेट करीब 27-28 रुपये की पड़ती है, जिसे दुकान की लोकेशन और किराए के रेट के हिसाब से दुकानदार बेचते हैं. ये हिसाब 25 ग्राम वाले मोमोज का है, जिन्हें मीडियम साइज का मोमोज माना जाता है.
क्या है चटनी का गणित?
अब बात करते हैं चटनी की. दरअसल, कई दुकानदार मोमोज के साथ चटनी फ्री में देने का दावा करते हैं. यूट्यूब पर भी कई वीडियो ऐसे हैं, जिनमें देखा गया है कि मोमोज के साथ फ्री चटनी की बात कही जाती है. लेकिन, कई व्यापारी ऐसा नहीं करते हैं. ऊपर बताए गए रेट में अलग अलग व्यापारी के हिसाब से बदलाव भी आ सकता है. वहीं, जो व्यापारी चटनी फ्री नहीं देते हैं, वो 120-130 रुपये किलो ये चटनी बेचते हैं, इसके अलावा 110 रुपये तक मियोनीज भी मिलती है.
1000 से 2500 तक का व्यापार हो जाता है
ऐसे में गली के बाहर दुकान लगाने वाले व्यापारी एक प्लेट पर करीब 20-22 रुपये तक कमाते हैं. ऐसे में अगर 100 प्लेट दिन की बेच लेते हैं तो एक दिन के 2200 रुपये तक कमा लेते हैं, जिसमें दुकान आदि खर्चा निकालकर भी उन्हें 1500 रुपये तक का फायदा हो जाता है.