आज है शारदीय नवरात्रि का 9वां दिन (नवमी तिथि)। नवरात्रि पूजा का समापन हवन अनुष्ठान के साथ सम्पन्न किया जाता है। ज्यादातर भक्तजन नवमी तिथि पर हवन करते हैं। नवरात्रि हवन पूरे विधि विधान के साथ शुभ मुहूर्त देखकर करना उत्तम माना गया है। पंचांग अनुसार आज शाम 07:01 मिनट तक नवमी तिथि रहेगी, जिसके बाद दशमी लग जाएगी। हवन पूजन पंडित जी से कराना अति फलदायक माना जाता है। अगर आप बिना घर पर स्वयं हवन पूजन करना चाहते हैं तो आइए जानते हैं आज दिनभर में हवन पूजन के शुभ मुहूर्त, हवन करने का आसान तरीका व मंत्र
- रवि योग: 08:06 ए एम से 06:15 ए एम, अक्टूबर 02
- लाभ: (उन्नति) 06:14 ए एम से 07:43 ए एम
- अमृत: (सर्वोत्तम) 07:43 ए एम से 09:12 ए एम
- शुभ: (उत्तम) 10:41 ए एम से 12:10 पी एम
- विजय मुहूर्त: 02:09 पी एम से 02:57 पी एम
- चर: सामान्य 03:09 पी एम से 04:38 पी एम
- लाभ: उन्नति 04:38 पी एम से 06:07 पी एम
पूजा शुरू करने से पहले भगवान गणेश का ध्यान करें। अब गंगाजल का छिड़काव कर सभी देवताओं का आवाहन करें। अब हवन कुंड में आम की लकड़ी, घी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें। ऊं आग्नेय नम: स्वाहा मंत्र बोलकर अग्नि देव का ध्यान करें। ऊं गणेशाय नम: स्वाहा मंत्र बोलकर अगली आहुति दें। इसके बाद नौ ग्रहों (ऊं नवग्रहाय नम: स्वाहा) और कुल देवता (ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा) का ध्यान करें। इसके बाद हवन कुंड में सभी देवी-देवताओं के नाम की आहुति डालें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हवनकुंड में कम से कम 108 बार आहुति डालनी चाहिए। देवी दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान करते हुए आहुति डालें। अंत में बची हुई हवं सामग्री को एक पान के पत्ते पर एकत्रित कर, पूड़ी, हलवा, चना, सुपारी, लौंग आदि रख आहुति डालें। इसके बाद पूरी श्रद्धा के साथ मां की आरती करें। पूरी, हलवा, खीर या श्रद्धानुसार भोग लगाएं। आचवनी करें। क्षमा प्रार्थना करें। सभी को आरती दें और प्रसाद खिलाएं।
- ऊं आग्नेय नम: स्वाहा
- ऊं गणेशाय नम: स्वाहा
- ऊं नवग्रहाय नम: स्वाहा
- ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा
- ऊं ब्रह्माय नम: स्वाहा
- ऊं विष्णुवे नम: स्वाहा
- ऊं शिवाय नम: स्वाहा
- ऊं दुर्गाय नम: स्वाहा
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
- ऊं महाकालिकाय नम: स्वाहा
- ऊं भैरवाय नम: स्वाहा
- ऊं जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहास्वधा नमस्तुति स्वाहा
- ऊं ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा।
- ॐ दुं दुर्गायै नमः स्वाहा।
- ॐ श्रीं ह्रीं दुं दुर्गायै नमः स्वाहा।