विद्यार्थियों की मनोवृत्ति और सोच शिक्षक समझें : वीसी

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वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। बीएचयू से संबद्ध विद्यालयों का शुक्रवार को कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने दौरा किया। स्कूलों में पठन-पाठन, ढांचागत सहित अन्य व्यवस्थाओं के बारे में जाना और बच्चों-शिक्षकों के साथ संवाद भी किया। कुलपति ने शिक्षकों से कहा कि जरूरत के वक्त उनसे सीधे संपर्क करने में झिझकने की जरूरत नहीं है। इस दौरान उन्होंने स्कूलों के मंदिरों में पूजा भी की। कुलपति ने सेंट्रल हिन्दू गर्ल्स स्कूल, सेंट्रल हिन्दू बॉयज स्कूल, कोल्हुआ स्थित प्राथमिक विद्यालय और रणवीर संस्कृत विद्यालय के निरीक्षण के बाद यहां के शिक्षकों के साथ संवाद किया। कहा कि बीएचयू के स्कूलों में अपार संभावनाएं हैं।

प्रवेश के लिए बड़ी संख्या में प्राप्त आवेदन इसका प्रमाण हैं। अब समय आ गया है कि स्कूल अपनी पहुंच का विस्तार करें और विकास के नए आयाम तलाशे। उन्होंने कहा कि शिक्षक विद्यार्थियों के जीवन में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं क्योंकि कोई भी विद्यार्थी अपने शिक्षक को कभी नहीं भूलता। उन्होंने शिक्षकों से विद्यार्थियों की सोच और मनोवृत्ति को समझने की अपील की ताकि उन्हें सही दिशा दी जा सके। कुलपति ने कहा कि समय के साथ युवाओं के सोचने का तरीका और नज़रिया भी बदला है। शिक्षकों को पीढ़ियों के इस अंतर को स्वीकार कर विद्यार्थियों से मजबूत संबंध बनाने की कोशिश करनी चाहिए। कुलपति ने सभी स्कूलों को अपनी आधारभूत आवश्यकताओं से संबंधित प्रस्ताव भी तैयार करने को कहा। संवाद के दौरान प्रो. चतुर्वेदी ने शिक्षकों के सवालों का उत्तर भी दिया। रिक्त पदों को भरने के संबंध में उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने इस संबंध में कार्य आरंभ कर दिया है। उन्होंने सेंट्रल हिन्दू बॉयज स्कूल के छात्रावास का भी निरीक्षण किया, हाल ही में इसका विस्तार कर क्षमता 104 से बढ़कर 160 छात्रों की कर दी गई है। रणवीर संस्कृत विद्यालय में 12 हजार से अधिक पुस्तकों के ग्रंथालय की सराहना करते हुए कुलपति ने इसकी ऑनलाइन सूची बनाने का सुझाव दिया। संवाद कार्यक्रम में स्वागत सेन्ट्रल हिन्दू बॉएज़ स्कूल की प्रधानाचार्य डॉ. स्वाति अग्रवाल ने किया। संचालन बॉयज स्कूल के उप-प्रधानाचार्य महेश चंद्र जायसवाल ने किया। निरीक्षण के दौरान उपाध्यक्ष स्कूल बोर्ड प्रो. सुषमा घिल्डियाल, सेंट्रल हिन्दू गर्ल्स स्कूल की प्रधानाचार्य प्रो. मधु कुशवाहा, रणवीर संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. आनंद कुमार जैन आदि मौजूद रहे।
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