भारतीय रेलवे के महत्वाकांक्षी मिशन रफ्तार के तहत दिल्ली-हावड़ा रेल मार्ग पर ट्रेनों की गति को 160 किलोमीटर प्रति घंटा करने की तैयारियों में जुटा है। इस दिशा में शनिवार को टूंडला और मडराक अलीगढ़ के बीच पहला ट्रायल किया गया। सीपीआरओ मुताबिक ट्रायल सफल रहा।
शनिवार को टूंडला और मडराक अलीगढ़ के मध्य 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन को चलाने का सफल ट्रायल किया गया। 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन को चलाने का ट्रायल टूंडला से सुबह 09:30 पर शुरू होना था पर ट्रेनों की ट्रैफिक को देखते हुए 12.15 पर ट्रायल शुरू हो पाया। पहली बार का ट्रायल पूरा कर लिया गया है।
पहला ट्रायल तो सिर्फ इंजन के साथ किया गया है। दूसरी बार टूंडला अलीगढ़ के बीच इंजन और वंदे भारत ट्रेन की कोच के साथ किया जाएगा। सीपीआरओ ने टूंडला- अलीगढ़ के बीच अभी कई बार ट्रायल किया जाएगा। रफ्तार और तकनीक क्षमता विकसित होने बाद ही दूसरे फेज का ट्रायल शुरू किया जाएगा।
इस प्रोजेक्ट की सफलता का आधार है आटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम, जो गाजियाबाद से डीडीयू तक 760 किलोमीटर के खंड पर पूरा हो चुका है। यह तकनीक एक साथ कई ट्रेनों को सुरक्षित और तेज गति से चलाने में सक्षम है। इससे मानवीय भूलें कम होंगी और ट्रेनों की संख्या बढ़ने के साथ सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
इसके अलावा इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग, इंटीग्रेटेड पावर सप्लाई, डेटालागर, ड्यूल एक्सल काउंटर, आटो रीसेट प्रणाली और अर्थ लीकेज डिटेक्टर जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जो तेज गति में सिग्नलिंग की रुकावटों को खत्म करेंगी।
सीपीआरओ, शशिकांत त्रिपाठी ने कहा कि रेलवे का लक्ष्य है कि बुनियादी ढांचे के साथ यात्रियों को तेज, सुरक्षित और विश्वसनीय रेल यात्रा का अनुभव मिले। शनिवार को टूंडला और अलीगढ़ के बीच पहला ट्रायल किया गया। अभी अलग-अलग फेज में कई ट्रायल किए जाएंगे।