रांची: झारखंड की राजधानी रांची के शहीद चौक के पास से हर दिन हजारों लोग एकत्र होते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी लोगों को शायद ही पता होगा की शहीद चौक के समीप एक ऐतिहासिक कुआं है, जो कि करीब 100 साल से भी पुराना है. इसकी देखरेख विशेष तौर पर की जाती है. क्योंकि यह सिर्फ कुंआ ही नहीं बल्कि झारखंड के वीर क्रांतिकारी के बलिदानियों का इतिहास है.

दरअसल, शहीद चौकी के सामने आपको शहीद स्मारक भवन देखने को मिल जाएगा. उसी के अंदर आपको एक कुआं भी मिलेगा. राजधानी रांची के जाने माने शिक्षाविद डॉ. राम बताते हैं कि अंग्रेजों के शासन में झारखंड से खासतौर पर सिद्धू और कान्हू 2 भाइयों ने अंग्रेजों के नाक में दम करके रखा था. यह दोनों गोरिल्ला वार में एक्सपर्ट और छुप के ऐसा प्रहार करते थे कि इनको हरा पाना अंग्रेजों के लिए एक चुनौती बन गई थी.

क्रांतिकारियों को यहां दी गई थी फांसी
उन्होंने बताया कि ऐसे में इन क्रांतिकारियों को पकड़ना नामुमकिन था, लेकिन कुछ ऐसे गद्दार थे, जिन्होंने निजी सूचना अंग्रेजों तक पहुंचाई और इन दोनों को पकड़कर अंग्रेजों ने फांसी दे दी. फिर इसी कुएं में डाल दिया और सिर्फ यही दोनों नहीं, ना जाने कितने क्रांतिकारी को फांसी देकर इस कुएं में डाला गया. यह कुआं सिर्फ कुआं नहीं बल्कि, आजादी के लिए हमारे झारखंड के सपूतों ने क्या कुछ किया है यह उसकी निशानी बन गया है.
कई क्रांतिकारियों के शव इस कुएं में ऊपर दिखाई देते थे. आज इस कुएं को धरोहर के तौर पर संभाल के रखा गया है. कोई इसको छती ना पहुंचाएं. इसके लिए यहां पर एक केयरटेकर भी है. जो इसकी देखभाल करते हैं. हालांकि, आसपास के लोग अपने जरूरत के हिसाब से यहां से पानी भी लेते हैं. इससे कोई समस्या नहीं. बस यह सुरक्षित रहे. जिसके लिए एक कमेटी भी बनाई गई है. जो इसकी देखरेख करती है.
इतिहास का साक्षी है कुआं
डॉ राम बताते हैं कि यह कुआं इतिहास का साक्षी है. इतने बड़े-बड़े वीर सेनानी ने अंग्रेजों के खिलाफ अपना बलिदान दे दिया. इतने जवान खुद की कोई फिक्र नहीं किए. यहां देश के लिए निस्वार्थ भाव से सेवा की. आज बहुत लोग उन क्रांतिकारियों को भूल चुके हैं, लेकिन लोगों को अपने पूर्वज और अपने स्थानीय सेनानी के बारे में जरूर जाना चाहिए. क्योंकि यही उनका आधार है.