गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण और देवाधिदेव महादेव के बिना भारत का पत्ता भी नहीं हिल सकता है। उन्होंने कहा कि जो राम विरोधी है, उसकी दुर्गति होनी ही है। योगी, गुरुवार को गुरु पूर्णिमा पर गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति भवन में विगत 4 जुलाई से चल रही श्रीरामकथा के विश्राम सत्र और गुरु पूर्णिमा महोत्सव को संबोधित कर रहे थे। योगी ने रामायण मेलों की शुरुआत करने वाले डॉ. राम मनोहर लोहिया का उल्लेख कर सनातन धर्म पर सवाल उठाने वालों को आईना दिखाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. लोहिया, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, प्रखर समाजवादी और कांग्रेस के प्रखर विरोधी थे। आजादी के बाद जब भारतीयों की एकजुटता को लेकर कुछ लोगों ने शंका जताई थी तब उन्होंने जवाब दिया था कि राम, कृष्ण और शंकर की पूजा होने तक भारत की एकजुटता का प्रश्न ही खड़ा नहीं होता। प्रखर समाजवादी लोहिया के विचार से इतर आज के समाजवादी रामभक्तों पर गोली चलाते हैं।
दुर्गति से बचने को आचार और विचार में समन्वय की आवश्यकता
मुख्यमंत्री ने दुर्गति से बचने के लिए आचार और विचार में समन्वय की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि राम को भजते-भजते हनुमान जी भी पूज्य हो गए। अनपढ़ व्यक्ति भी हनुमान चालीसा जानता है, उसका पाठ करता है। उन्होंने कहा कि श्रीराम, श्रीकृष्ण, भगवान शंकर और उनसे जुड़ी कथाएं हमारी आस्था की प्रतीक हैं, हमारी विरासत हैं। सुसभ्य संस्कृति की उत्कृष्टता के प्रतीक हैं। इनके संरक्षण और उन्नयन में योगदान देना हर भारतीय का कर्तव्य होना चाहिए। राम, कृष्ण और शिव सनातन धर्म के प्रतीक हैं।
सनातन धर्म भारत की आत्मा
मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन धर्म भारत की आत्मा है। धर्म, मत, महजब के अंतर को समझना होगा। सनातन धर्म मात्र उपासना विधि नहीं है बल्कि यह जीवन जीने की पद्धति है जिसमें अनेक उपासना विधियां समाहित हैं।
हजारों वर्षों से सुनी जा रही श्रीराम कथा
योगी ने कहा कि श्रीराम कथा हजारों वर्षों से सुनी जा रही है। यह भारत के संस्कार में शामिल है। दुनिया में ऐसा कोई भी सनातनी नहीं है जो श्रीराम कथा के प्रसंगों को न जानता हो।