इतिहास रच गया! श्रीहरिकोटा से NASA-ISRO का NISAR सेटैलाइट लॉन्च, अब धरती की हर हलचल पर रहेगी 24×7 नजर

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ISRO और NASA द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किए गए पृथ्वी का अवलोकन करने वाले सेटैलाइट NASA–ISRO Synthetic Aperture Radar (NISAR) को आज (30 जुलाई) को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। ‘निसार’ को जीएसएलवी-एस16 रॉकेट के जरिए शाम 5 बजकर 40 मिनट पर अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया ।पृथ्वी अवलोकन उपग्रह भारत के सबसे बड़े रॉकेट – जीएसएलवी एमके II पर लॉन्च होगा, जो 52 मीटर (170 फीट) लंबा एक एक्सपेंडेबल थ्री-स्टेज लॉन्च व्हीकल है।

भारत का अंतरिक्ष में नया कमाल, NASA-ISRO लॉन्च करेंगे 'निसार', पृथ्वी की  होगी निगरानी - nasa isro will launch nisar today to monitored earth

क्या है NISAR सेटैलाइट

‘निसार’ का वजन 2,393 किलोग्राम है। जीएसएलवी-एस16 रॉकेट की लंबाई 51.7 मीटर है। यह चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर पूर्व में स्थित दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित होगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती 29 जुलाई को अपराह्न दो बजकर 10 मिनट पर शुरू हो गई थी। इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक ‘पोस्ट’ में कहा, “आज जीएसएलवी-एस16 /निसार का प्रक्षेपण होगा। जीएसएलवी-एस16 और निसार के प्रक्षेपण का दिन आ गया है। जीएसएलवी-एस16 प्रक्षेपण स्थल पर तैयार खड़ा है। आज प्रक्षेपण होगा।”

ISRO और ‘नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (नासा) के बीच यह साझेदारी अपनी तरह की पहली साझेदारी है। साथ ही ऐसा पहली बार हो रहा है जब जीएसएलवी रॉकेट के जरिए उपग्रह को सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में भेजा जा रहा है जबकि सामान्यतः ऐसी कक्षाओं में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (पीएसएलवी) के जरिए उपग्रह भेजे जाते हैं।

यह उपग्रह किसी भी मौसम में और दिन-रात 24 घंटे पृथ्वी की तस्वीरें ले सकता है। यह भूस्खलन का पता लगाने, आपदा प्रबंधन में मदद करने और जलवायु परिवर्तन की निगरानी करने में भी सक्षम है। उपग्रह से हिमालय और अंटार्कटिका जैसे क्षेत्रों में वनों में होने वाले बदलाव, पर्वतों की स्थिति या स्थान में बदलाव और हिमनद की गतिविधियों सहित मौसमी परिवर्तनों का अध्ययन किया जा सकेगा।

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