Vande mataram full lyrics and meaning in hindi: 15 अगस्त आने वाला है। ऐसे में स्वतंत्रता दिवस के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस, इन अवसरों परवन्दे मातरम् की गूंज जरूर सुनाई देती है। यह सिर्फ एक गीत नहीं है। बल्कि यह भारत माता के प्राकृतिक सौंदर्य, संस्कृति, बल और आध्यात्मिक शक्ति की आराधना है। राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम को बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था और इसे पहली बार गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर ने गाया था। 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के लिए आप यहां वन्दे मातरम्: पूरा गीत और उसका अर्थ एक साथ पढ़ सकते हैं।
यहां पढ़ें वन्दे मातरम् की लिरिक्स हिंदी में (Vande mataram full lyrics)
वन्दे मातरम्,वन्दे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वन्दे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वन्दे मातरम्,वन्दे मातरम्॥
कोटि कोटि कण्ठ कल कल निनाद कराले
द्विसप्त कोटि भुजैर्धृत खरकरवाले
के बोले मा तुमी अबले
बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्
रिपुदलवारिणीम् मातरम्॥
वन्दे मातरम्!
तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि ह्रदि तुमि मर्म
त्वं हि प्राणाः शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारै प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे मातरम्॥
वन्दे मातरम्!
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदल विहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलां मातरम्॥
वन्दे मातरम्!
श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्
धरणीं भरणीं मातरम्॥
वन्दे मातरम् का अर्थ हिंदी में | Vande mataram lyrics meaning in hindi
हे मां, तुम्हें मेरा प्रणाम है। जिसमें शुद्ध और भरपूर जल हो, जो फलों से भरी हुई हो, मलय पर्वत की शीतल सुगंधित पवनों से शीतल हो। ऐसी मातृभूमि को मैं नमन करता हूं। हरियाली से भरी हुई, खेतों की फसलों से ढकी हुई, ऐसी जीवनदायिनी मातरम् को प्रणाम है। चांदनी रातें जो हर्ष से भर देती हैं, खिले हुए फूलों और पेड़ों की हरियाली से सजी हुई। जो मधुर मुस्कान वाली है और मीठे शब्दों में बोलती है, जो सुख और वरदान देती है।
ऐसी मां को बारंबार प्रणाम है। करोड़ों लोगों के गलों से एक साथ निकलती आवाज़ से गूंजती हुई, करोड़ों भुजाओं द्वारा रक्षित और समर्थ हो। कौन कहता है कि यह मां अबला है? जिसे मैं नमन करता हूं। तुम ही विद्या हो, तुम ही धर्म हो। मां, तुम ज्ञान हो, तुम धर्म हो। तुम ही हृदय में भाव हो, तुम ही आत्मा की गहराई हो। तुम ही मेरी प्रेरणा हो, मेरी आत्मा की शक्ति हो। तुम ही बाहुबल हो, तुम ही भक्ति हो। तुम ही बल हो, और तुम ही श्रद्धा हो।
ऐसी मां को मैं बारंबार नमन करता हूं। तुम ही विद्या हो, तुम ही धर्म हो। तुम ही हृदय, तुम ही तत्व हो। तुम ही शरीर में स्थित प्राण हो। हमारी बांहों में जो शक्ति है वो तुम ही हो। हृदय में जो भक्ति है वो तुम ही हो। तुम्हारी ही प्रतिमा हर मन्दिर में गड़ी हुई है। मां तुम्हें मेरा प्रणाम है। तुम ही दस अस्त्र धारण की हुई दुर्गा हो।
तुम ही कमल पर आसीन लक्ष्मी हो। तुम वाणी एवं विद्या देने वाली (सरस्वती ) हो, तुम्हें प्रणाम है। तुम धन देने वाली हो, तुम अति पवित्र हो, तुम्हारी कोई तुलना नहीं हो सकती है, तुम जल देने वाली हो, तुम फल देने वाली हो। मां तुम्हें मेरा प्रणाम है। हे मां तुम श्यामवर्ण वाली,अति सरल,सदैव हंसने वाली हो। तुम धारण करने वाली,पालन-पोषण करने वाली हो। मां तुम्हें मेरा प्रणाम है।
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