संचार साथी ऐप को लेकर सरकार द्वारा जारी नए आदेश को लेकर बवाल शुरू हो गया है। विपक्ष ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए इस कदम को गैर-संवैधानिक बताया है। विपक्ष ने कहा है कि सरकार इसके जरिए लोगों की हर एक हरकत पर नजर रखने जा रही है। विपक्ष ने इस ऐप की तुलना इजरायल के स्पाईवेयर ऐप, पेगासस तक से कर दी है। बता दें कि इससे पहले केंद्र ने सभी नए मोबाइल हैंडसेट पर संचार साथी एप्लिकेशन को जरूरी बनाने का निर्देश दिया है।
दूरसंचार विभाग ने सोमवार को मोबाइल हैंडसेट मैन्युफैक्चर्स और आयातकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि 90 दिन के भीतर सभी नए उपकरणों में संचार साथी पहले से लगा हो। आदेश में कहा गया, ‘‘केंद्र सरकार भारत में उपयोग में लाए जाने वाले मोबाइल हैंडसेट के प्रत्येक विनिर्माता और आयातक को निर्देश देती है। इन निर्देशों के जारी होने के 90 दिन के भीतर, यह सुनिश्चित करें कि दूरसंचार विभाग द्वारा निर्दिष्ट संचार साथी मोबाइल एप्लिकेशन, भारत में उपयोग के लिए विनिर्मित या आयातित सभी मोबाइल हैंडसेट में पहले से लगा हो।’’ ऐसे सभी उपकरणों के लिए जो पहले ही विनिर्मित हो चुके हैं और भारत में बिक्री चरण में हैं, मोबाइल हैंडसेट विनिर्माताओं और आयातकों को सॉफ्टवेयर अपडेट के माध्यम से ऐप को इंस्टॉल कराने के लिए कदम उठाने होंगे।
सरकार ने अपने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि यह कदम डुप्लीकेट और नकली IMEI नंबरों को रोकने के लिए जरूरी है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं। अधिकारियों ने कहा है कि भारत में सेकंड-हैंड फोन मार्केट और चोरी या ब्लैकलिस्टेड डिवाइस की रीसेल बढ़ती जा रही है। ऐसे में फोन को ट्रेस करने के लिए संचार साथी जैसा भरोसेमंद सिस्टम बनाना जरूरी है। सरकार ने कहा है कि यह आदेश राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए है, जासूसी के लिए नहीं।
हालांकि विपक्षी पार्टियों ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल ने एक पोस्ट में इस कदम को पूरी तरह गैर-संवैधानिक” बताया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, “बिग ब्रदर हमें नहीं देख सकता। DoT का यह आदेश पूरी तरह से गैर-कानूनी है। निजता का अधिकार, संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए जीवन के बुनियादी अधिकार का एक जरूरी हिस्सा है।” उन्होंने आगे कहा कि एक प्री-लोडेड सरकारी ऐप जिसे अनइंस्टॉल नहीं किया जा सकता, हर भारतीय पर नजर रखने का एक खतरनाक टूल है और यह हर नागरिक की हर हरकत, बातचीत और फैसले पर नजर रखने का एक तरीका है। उन्होंने इस आदेश को वापस लेने की भी मांग की।
वहीं कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने लिखा, “यह पेगासस प्लस प्लस है।” शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस आदेश की तुलना “BIG BOSS सर्विलांस मोमेंट” से की है और कहा है कि सरकार गलत तरीकों से लोगों के फोन में घुसने की कोशिश कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी कोशिशों का पुरजोर विरोध किया जाएगा।