Iqra Hasan vs ADM Saharanpur: उत्तर प्रदेश के कैराना से सपा सांसद इकरा हसन और सहारनपुर के अपर जिलाधिकारी (ADM) संतोष बहादुर सिंह का विवाद इस वक्त सुर्खियों में हैं। सपा सांसद इकरा हसन ने एडीएम संतोष बहादुर सिंह पर अपमानजनक बर्ताव और ऑफिस से बाहर निकल जाने का आरोप लगाया है। वहीं, एडीएम ने आरोपों को निराधार बताया। हालांकि, अब इस मामले ने तूल पकड़ लिया है।
इस मामले में सपा चीफ अखिलेश यादव की भी एंट्री हुई है। अखिलेश ने कहा कि जो सांसद का सम्मान नहीं करते वो जनता का क्या करेंगे। सपा अध्यक्ष की इस पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए सपा सांसद इकरा हसन ने लिखा- ‘जो कुर्सी से ताकत का नशा कर बैठे, औरों की इज़्ज़त को धूल समझ बैठे। वो भूल गए हैं ये हिन्दुस्तान है, यहां नारी नहीं, खुद संविधान है।
क्या है पूरा घटनाक्रम
सपा सांसद इकरा हसन के अनुसार, यह घटना 1 जुलाई की है। उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए एडीएम संतोष बहादुर सिंह से मिलने की कोशिश की। पहली बार उन्हें बताया गया कि एडीएम लंच पर गए हुए हैं और उन्हें अपनी समस्याएं लिखित रूप में बताने की सलाह दी गई।
उसी दिन दोपहर करीब तीन बजे इकरा हसन और नगर पंचायत अध्यक्ष शमा परवीन फिर से एडीएम कार्यालय पहुंचीं। सांसद ने आरोप लगाया कि उनके आने पर एडीएम सिंह का व्यवहार “असम्मानजनक” था।
इकरा हसन ने आगे कहा कि एडीएम ने परवीन को फटकार लगाई और जब हसन ने उनके मुद्दों पर सुनवाई का अनुरोध करने के लिए हस्तक्षेप किया, तो उन्होंने कथित तौर पर अशिष्ट व्यवहार किया और दोनों महिलाओं को अपने कार्यालय से बाहर जाने का निर्देश दिया।
इकरा हसन के मुताबिक, एडीएम ने नगर पंचायत अध्यक्ष को डांटने के साथ-साथ खुद मेरे साथ भी असभ्य व्यवहार किया। मैंने जब शिष्टता से समस्या बताने की बात कही, तो एडीएम और भड़क गए। स्वयं को कार्यालय का मालिक बताते हुए उन्होंने मुझे बाहर जाने के लिए कहा।
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इस घटना के बाद इकरा हसन ने मंडलायुक्त को भेजे अपने शिकायती पत्र में कहा कि ADM का व्यवहार न केवल एक महिला सांसद बल्कि एक महिला नगर पंचायत अध्यक्ष के प्रति भी अपमानजनक था। इससे महिला जनप्रतिनिधियों के प्रति उनकी छोटी सोच उजागर होती है। हसन ने इसे यूपी शासकीय कर्मचारी आचरण नियमावली का खुला उल्लंघन बताया और इस आचरण पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है।
सांसद ने यह मामला लोकसभा विशेषाधिकार समिति में ले जाने की भी चेतावनी भी दी है। फिलहाल, मंडलायुक्त ने मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। साथ ही जिलाधिकारी को रिपोर्ट पेश करने को कहा है। फिलहाल, मामला अब प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
एडीएम संतोष बहादुर सिंह ने क्या कहा?
वहीं, एडीएम संतोष बहादुर सिंह ने इन सभी आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि घटना के टाइम वह फील्ड पर थे। जैसे ही सूचना मिली, तुरंत कार्यालय पहुंचा और सांसद को इनवाइट किया। सांसद को सम्मानपूर्वक बैठाया, किसी तरह का कोई अपमान नहीं किया। ‘गेट आउट’ शब्द टंग ऑफ स्लिप था। आखिर में एडीएम ने खुद को जनसेवक बताया और कहा कि वे अपने दायित्वों के प्रति पूरी तरह जागरूक हैं।
एडीम ने आगे कहा कि सांसद ने जब मुझसे पूछा कि आपने मेरा फोन क्यों नहीं उठाया, तो मैंने उन्हें अवगत कराया कि मैं मीटिंग में बैठा हुआ था, इसके बाद फील्ड में निकल गया, फोन वाइब्रेशन पर था इसलिए कॉल नहीं उठा पाया। साथ ही कहा कि अगर कोई बात है तो एप्लीकेशन लिखित में दे दीजिए, उसकी जांच करवा लेंगे।