कौन हैं IPS कुंवर विजय प्रताप सिंह, IG का पद छोड़ लड़ा चुनाव; अब AAP से निलंबित

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आम आदमी पार्टी ने अमृतसर नॉर्थ से विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह को पार्टी से 5 साल के लिए सस्पेंड कर दिया है। उन पर अनुशासनहीनता और पार्टी के विपरीत चलने के आरोप लगे हैं। उन्होंने अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की गिरफ्तारी पर अपनी ही पार्टी पर सवाल उठाए थे। यह नया मामला नहीं है। पहले भी अक्सर कई बार वह आम आदमी पार्टी सरकार पर सवाल उठाते रहे हैं। मूलरूप से बिहार के जिले गोपालगंज के रहने वाले कुंवर विजय प्रताप सिंह पंजाब कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं। कुंवर विजय प्रताप ने बतौर आईजी अमृतसर जोन के बॉर्डर जिलों में उल्लेखनीय कार्य किया था, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति पदक से भी सम्मानित किया गया था।

गोलीकांड की जांच रिपोर्ट से हिलाई थी कैप्टन सरकार

पंजाब की कैप्टन अमरिदंर सिंह सरकार में कुंवर विजय प्रताप सिंह धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी की घटनाओं के दौरान 2015 में कोटकपुरा और बहिबल कलां में हुए गोलीकांड की जांच के लिए गठित एसआईटी के चीफ थे। उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में इनकी एक रिपोर्ट दाखिल की थी, जिस से कैप्टन अमरिदंर सरकार हिल गई थी। कुंवर विजय प्रताप सिंह की रिपोर्ट को हाईकोर्ट ने राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया था। रिपोर्ट के खारिज होने से जहां कैप्टन सरकार कांग्रेस के नेताओं से ही घिरी, वहीं कुंवर विजय प्रताप ने भी इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना सेवानिवृति से करीब एक दशक पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

केजरीवाल से प्रेरित होकर आये थे राजनीति में

आईपीएस की नौकरी से इस्तीफा देने वाले कुंवर विजय प्रताप सिंह साल 2021 में अमृतसर में दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय समन्वयक अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। अरविंद केजरीवाल से प्रेरित होकर अमृतसर नॉर्थ विधानसभा सीट से चुनावी दंगल में उतरे और जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस के सीटिंग विधायक सुनील दत्ती को उन्होंने हराया था। लेकिन कुंवर विजय प्रताप सिंह की पार्टी से नाराजगी और दूरी 2022 विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद ही नजर आने लगी थी। उन्होंने 2022 में 2 अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर सवाल उठाए थे।

कुंवर विजय प्रताप बरगाड़ी गोलीकांड की जांच कर चुके हैं। वह आईजी रहते हुए केस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के प्रमुख थे। उन्होंने मान सरकार पर आरोप लगाया था कि वह दोषियों को सजा दिलाने में इच्छाशक्ति नहीं दिखा रही।

2024 में कुँवर ने सोशल मीडिया पर जालंधर से सांसद सुशील कुमार रिंकू और विधायक शीतल अंगुराल के भाजपा जॉइन करने के बाद पार्टी पर सवाल खड़े किए। इसके साथ ही उन्होंने सांसद राघव चड्ढा के विदेश में होने पर भी तंज कसा था। उन्होंने लिखा था कि लिखा था- क्या से क्या हो गया देखते-देखते। आखिर कहीं तो चूक हुई है। अपनों से दूरी, छल-कपट और गैरों को गले लगाना, यह कौन सा न्याय है?

आपकी बातों पर विश्वास किया और राजनीति का शिकार हो गया

साल 2023 में बेअदबी के दोषियों पर कोई कार्रवाई न करने पर विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह ने फिर आप सरकार को कटघरे में खड़ा किया। सीएम भगवंत मान का पुराना वीडियो शेयर करते हुए वादे के बावजूद बेअदबी के दोषियों पर कोई कार्रवाई न करने पर उन्होंने लिखा था कि मैंने अप्रैल 2021 में आईपीएस पद से इस्तीफा दिया तो आपकी बातों पर विश्वास किया और राजनीति का शिकार हो गया। आज एसआईटी आपकी है, आज गृह मंत्री आप हैं। एसआईटी गवाहों को नकार रही है। उन्हें बार-बार सुनाया जा रहा है, आरोपियों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। मैं निजी वकीलों के साथ अदालतों में केस चला रहा हूं। जानबूझ कर मेरा अपमान किया जा रहा है। आरोपी, सरकारी तंत्र पर हावी हो गए हैं। पंजाबियों को धोखा दिया गया, लेकिन अंतिम फैसला गुरु गोबिंद सिंह जी के दरबार में होना है। मेरी जंग जारी रहेगी।

दो बेटियों के पिता, पिछले साल हुआ पत्नी का निधन

कुंवर विजय प्रताप सिंह का पैतृक घर बिहार के गोपालगंज जिले के करसघाट गांव में है। गांव में शुरुआती पढ़ाई करने के बाद उन्होंने झझवा से मिडिल स्कूल की और शाहपुर से मैट्रिक तक की शिक्षा ली। उन्‍होंने पटना साइंस कॉलेज से इंटर और पटना यूनिवर्सिटी से बीए और एमए में डिग्री हासिल की। इसके अलावा उन्‍होंने एलएलबी, एमबीए और पीएचडी भी की है। विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह की पत्नी मधुमिता का पिछले साल निधन हो गया था। अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई और अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। उनकी दो बेटियां हैं जिसमें से एक बेटी लॉ कर रही है तो दूसरी बेटी स्कूल जाती है।

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