रामायण की यह चौपाई है सबसे प्रभावशाली, हर रोज पढ़ने से दूर हो सकता है जीवन से जुड़ा बड़ा से बड़ा भय

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Ramayan Chaupai: मनुष्य का जीवन खुशी, दुख और डर इन तीन भावनाओं से बना होता है। खुशी मिलती है तो मन प्रसन्न रहता है, दुख आता है तो जीवन थम सा जाता है, लेकिन असली रुकावट तब आती है जब जीवन में डर घर कर जाता है। यह डर ही है जो व्यक्ति को आगे बढ़ने से रोकता है, उसे सफल होने से रोकता है। ऐसे में अधिकतर लोग इस डर को खत्म करने के लिए भगवान की शरण में जाते हैं। पूजा-पाठ करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं ताकि डर, चिंता और मानसिक तनाव से मुक्ति मिल सके। ऐसे ही एक विशेष धार्मिक ग्रंथ है ‘श्रीरामचरितमानस’, जिसे गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा था। कहा जाता है कि इसमें जीवन के हर संकट का समाधान छिपा है। श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों में इतनी शक्ति है कि इनके नियमित पाठ से जीवन के बड़े से बड़े संकट दूर हो सकते हैं और डर भी खत्म हो सकता है। अगर आपके जीवन में भी डर, चिंता या कोई बड़ा संकट है, तो रामचरितमानस की इन खास चौपाइयों का पाठ जरूर करें। ऐसे में आइए जानते हैं श्रीरामचरितमानस की इन चौपाइयों के बारे में।

जा पर कृपा राम की होई ।
ता पर कृपा करहिं सब कोई ॥
जिनके कपट, दम्भ नहिं माया ।
तिनके हृदय बसहु रघुराया ॥

अर्थ – इसका अर्थ है कि जिस व्यक्ति पर भगवान श्रीराम की कृपा होती है, उसके जीवन में कोई भी दुख ज्यादा देर टिक नहीं सकता। प्रभु श्रीराम उन्हीं के हृदय में वास करते हैं जो सच्चे दिल वाले होते हैं, जिनके मन में कोई छल-कपट, दिखावा या लालच नहीं होता। ऐसे व्यक्ति पर खुद भगवान भी कृपा बरसाते हैं और दुनिया भी उनका सम्मान करती है।

कहु तात अस मोर प्रनामा ।
सब प्रकार प्रभु पूरनकामा ॥
दीन दयाल बिरिदु संभारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी ॥

अर्थ – यह चौपाई संकट के समय पढ़ने के लिए बेहद प्रभावी मानी जाती है। इसका अर्थ है कि – हे प्रभु! मैं आपको प्रणाम करता हूं। आप सभी इच्छाओं को पूरा करने वाले हैं। दीन-दुखियों पर दया करना तो आपकी प्रकृति है, इसलिए मेरे जीवन से सारे संकट दूर कर दीजिए। अगर आप भी किसी मानसिक तनाव या बड़ी परेशानी से जूझ रहे हैं तो इस चौपाई का रोज पाठ करें। इससे मन को शांति मिलेगी और भगवान श्रीराम की कृपा बरसेगी।

होइहि सोइ जो राम रचि राखा ।
को करि तर्क बढ़ावै साखा ॥
अस कहि लगे जपन हरिनामा ।
गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा ॥

अर्थ – इसका अर्थ है कि, वही होता है जो भगवान राम चाहते हैं। इसलिए व्यर्थ में तर्क-वितर्क करने का कोई लाभ नहीं है। जब भगवान शिव को भी जीवन में उलझन हुई तो उन्होंने राम का नाम जपना शुरू कर दिया और सती वहां चली गईं जहां प्रभु श्रीराम विराजमान थे। इसलिए जीवन में अगर परेशानियां आएं तो चिंता छोड़कर भगवान का नाम लें, उनका ध्यान करें। ऐसा करने से धीरे-धीरे सब कुछ ठीक हो सकता है।

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